SHABDON KI DUNIYA MEI AAPKA SWAGAT

Sunday, October 16, 2011

कैसे कह दूं कि तुम  थे
जबकि एक भी आहट

सुनाई नहीं देती अब तो

कैसे कह दूं कि तुम थे
जबकि एक भी परछाई
दिखाई नहीं देती अब तो

कैसे कह दूं कि तुम थे
जबकि एक भी तस्वीर तुम्हारी
बोलती नहीं अब तो

अब तो तुम्हारे होने पर संदेह हो चला है
संदेह तुम्हारे न होने का
मेरे न होने का भी शायद अब
मै भी नहीं हूँ अब तुम्हारे लिए
मेरे लिए तुम नहीं
तुम नहीं मेरे लिए अब
अब सिर्फ मैं हूँ
मैं हूँ
सिर्फ और सिर्फ मैं
उजियारा