कैसे कह दूं कि तुम थे
जबकि एक भी आहट
सुनाई नहीं देती अब तो
कैसे कह दूं कि तुम थे
जबकि एक भी परछाई
दिखाई नहीं देती अब तो
कैसे कह दूं कि तुम थे
जबकि एक भी तस्वीर तुम्हारी
बोलती नहीं अब तो
अब तो तुम्हारे होने पर संदेह हो चला है
संदेह तुम्हारे न होने का
मेरे न होने का भी शायद अब
मै भी नहीं हूँ अब तुम्हारे लिए
मेरे लिए तुम नहीं
तुम नहीं मेरे लिए अब
अब सिर्फ मैं हूँ
मैं हूँ
सिर्फ और सिर्फ मैं
उजियारा