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Tuesday, April 14, 2020

तसवीरें - सच या सच की परछाई या झूंठा सच


तसवीरें - सच या सच की परछाई या झूंठा सच

ये जो तस्वीर "तूने" बनायीं हैं
सच है या सच की परछाई है
किसी के उठने की अंगडाई है
या फिर किसी के बच जाने की रंगाई है

ये तस्वीर जो "तूने" बनायीं है
ये दर्द की सच्चाई है
कितनों की तन्हाई है

लेकिन

एक तस्वीर खिंचवाने को
इक माँ,
जो मर गयी
नहीं नहीं मर नहीं गयी
मार दी दंगाईयों ने
उसके पेट के बच्चे के साथ
"तुझे" पुकार रहीं है

इक तस्वीर खिंचवाने को
इक भूँखा बाप
विदर्भा में , बुन्देल खंड में, कालाहांडी में
जो बेटों को जहर देने की तैय्यारी में है
ताकि कल से रोज़ रोज़ भूँख के झगडे न हों
तुझे बुला रहा है

इक तस्वीर खिचवाने को
माएँ, बहनें, बेटे, बाप
तेरी राह देख रहे हैं
उन्हीं कब्रों के पास खड़े हैं
जहाँ पता नहीं उनको कि
उनका रिश्ता कौन सी कब्र से है
शायद सब कब्रें उन्ही की हैं अब

इक तस्वीर खिचवाने को
तुझे इरोम शर्मिला भी बुला रही है
उसका उपवास अब टूटता जा रहा है
इस राह में इस बिस्वास में
कि तू आएगा
इक तस्वीर खींचेगा
पूरी दुनिया को दिखाएगा
उन सबको उन का हक
उनका प्यारा जहाँ बापस दिलाएगा

हाँ
तूने इन सब कि
इन सब कि
तसवीरें खींच ली हैं
वो सब तस्वीरें
जो तुझे खींचनी थी

मुझे एक एह्साह हो चला था
कि अब तस्वीरें, सूरत बदलने वाली है
झूंठ , पाप और अत्याचार का पुलिंदा खोलने वाली है

हो भी क्यों न
इन तस्वीरों ने दुनिया को कई बार
ख़ाक होने से रोका है

इक तस्वीर सोमालिया के बच्चे की
एक तस्वीर भोपाल गैस खंड की
इक तस्वीर एक बूढ़े के ठण्ड से मर जाने की

इसी आस में
आज आराम से सो गया था
कल मुझे तेरी उन तस्वीरों को देखने जाना था
जो तू दुनियां को दिखायेगा
और फिर सच और इंसानियत का परचम लहराएगा

तेरी तस्वीरें देख रहा हूँ
आज के अखबार में है
आज के समाचार में है
आज के एनडीटीवी, आज तक, जी
टाइम्स औफ इनडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स में है

लेकिन ये क्या
तस्वीरें तो हैं
बदली हुई तस्वीरें
ये वो नहीं जो तुने खींची थीं
ये वो नहीं जो तुने सहेजी थी

इक तस्वीर में
मिसाइल है
एक तस्वीर में नेता
नारे लगाते हुये

इक तस्वीर में
अभिनेता हैं
जनम दिन कि पार्टियां
मनाते हुयें

इक तस्वीर में
भारत 9 % GDP दिखा रहा है
इक तस्वीर दिल्ली के मेट्रो , MALL ,सडकों
से पटी हुयी है

तस्वीरें तो हैं
लेकिन बदल गयी हैं
बदली हुयी तस्वीरें
किसने बदला इसे अभी साफ़ नहीं है
क्यूंकि "तू" मेरे पास नहीं है

जब भी "तू" मेरे पास आएगा
पूंछूंगा "तुझ" से
क्या तब ही अच्छा था
जब तसवीरें ही न थीं

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